Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
35
PageNo
131
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
6_35.png
AyatText
وَإِن كَانَ كَبُرَ عَلَيْكَ إِعْرَاضُهُمْ فَإِنِ ٱسْتَطَعْتَ أَن تَبْتَغِىَ نَفَقًۭا فِى ٱلْأَرْضِ أَوْ سُلَّمًۭا فِى ٱلسَّمَآءِ فَتَأْتِيَهُم بِـَٔايَةٍۢ ۚ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَى ٱلْهُدَىٰ ۚ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْجَـٰهِلِينَ
AyatMeaning
अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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