Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 35
- PageNo
- 131
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 6_35.png
- AyatText
- وَإِن كَانَ كَبُرَ عَلَيْكَ إِعْرَاضُهُمْ فَإِنِ ٱسْتَطَعْتَ أَن تَبْتَغِىَ نَفَقًۭا فِى ٱلْأَرْضِ أَوْ سُلَّمًۭا فِى ٱلسَّمَآءِ فَتَأْتِيَهُم بِـَٔايَةٍۢ ۚ وَلَوْ شَآءَ ٱللَّهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَى ٱلْهُدَىٰ ۚ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْجَـٰهِلِينَ
- AyatMeaning
- अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi