Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 28
- PageNo
- 470
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 40_28.png
- AyatText
- وَقَالَ رَجُلٌۭ مُّؤْمِنٌۭ مِّنْ ءَالِ فِرْعَوْنَ يَكْتُمُ إِيمَـٰنَهُۥٓ أَتَقْتُلُونَ رَجُلًا أَن يَقُولَ رَبِّىَ ٱللَّهُ وَقَدْ جَآءَكُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ مِن رَّبِّكُمْ ۖ وَإِن يَكُ كَـٰذِبًۭا فَعَلَيْهِ كَذِبُهُۥ ۖ وَإِن يَكُ صَادِقًۭا يُصِبْكُم بَعْضُ ٱلَّذِى يَعِدُكُمْ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَهْدِى مَنْ هُوَ مُسْرِفٌۭ كَذَّابٌۭ
- AyatMeaning
- और फिरऔन के लोगों में एक ईमानदार शख्स (हिज़कील) ने जो अपने ईमान को छिपाए रहता था (लोगों से कहा) कि क्या तुम लोग ऐसे शख्स के क़त्ल के दरपै हो जो (सिर्फ) ये कहता है कि मेरा परवरदिगार अल्लाह है) हालाँकि वह तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास मौजिज़े लेकर आया और अगर (बिल ग़रज़) ये शख्स झूठा है तो इसके झूठ का बवाल इसी पर पड़ेगा और अगर यह कहीं सच्चा हुआ तो जिस (अज़ाब की) तुम्हें ये धमकी देता है उसमें से कुछ तो तुम लोगों पर ज़रूर वाकेए होकर रहेगा बेशक ख़ुदा उस शख्स की हिदायत नहीं करता जो हद से गुज़रने वाला (और) झूठा हो
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi