Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
8
PageNo
459
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
39_8.png
AyatText
۞ وَإِذَا مَسَّ ٱلْإِنسَـٰنَ ضُرٌّۭ دَعَا رَبَّهُۥ مُنِيبًا إِلَيْهِ ثُمَّ إِذَا خَوَّلَهُۥ نِعْمَةًۭ مِّنْهُ نَسِىَ مَا كَانَ يَدْعُوٓا۟ إِلَيْهِ مِن قَبْلُ وَجَعَلَ لِلَّهِ أَندَادًۭا لِّيُضِلَّ عَن سَبِيلِهِۦ ۚ قُلْ تَمَتَّعْ بِكُفْرِكَ قَلِيلًا ۖ إِنَّكَ مِنْ أَصْحَـٰبِ ٱلنَّارِ
AyatMeaning
और आदमी (की हालत तो ये है कि) जब उसको कोई तकलीफ पहुँचती है तो उसी की तरफ रूजू करके अपने परवरदिगार से दुआ करता है (मगर) फिर जब खुदा अपनी तरफ से उसे नेअमत अता फ़रमा देता है तो जिस काम के लिए पहले उससे दुआ करता था उसे भुला देता है और बल्कि खुदा का शरीक बनाने लगता है ताकि (उस ज़रिए से और लोगों को भी) उसकी राह से गुमराह कर दे (ऐ रसूल ऐसे शख्स से) कह दो कि थोड़े दिनों और अपने कुफ्र (की हालत) में चैन कर लो
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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