Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 72
- PageNo
- 427
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 33_72.png
- AyatText
- إِنَّا عَرَضْنَا ٱلْأَمَانَةَ عَلَى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَٱلْجِبَالِ فَأَبَيْنَ أَن يَحْمِلْنَهَا وَأَشْفَقْنَ مِنْهَا وَحَمَلَهَا ٱلْإِنسَـٰنُ ۖ إِنَّهُۥ كَانَ ظَلُومًۭا جَهُولًۭا
- AyatMeaning
- बेशक हमने (रोज़े अज़ल) अपनी अमानत (इताअत इबादत) को सारे आसमान और ज़मीन पहाड़ों के सामने पेश किया तो उन्होंने उसके (बार) उठाने से इन्कार किया और उससे डर गए और आदमी ने उसे (बे ताम्मुल) उठा लिया बेशक इन्सान (अपने हक़ में) बड़ा ज़ालिम (और) नादान है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi