Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 40
- PageNo
- 355
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 24_40.png
- AyatText
- أَوْ كَظُلُمَـٰتٍۢ فِى بَحْرٍۢ لُّجِّىٍّۢ يَغْشَىٰهُ مَوْجٌۭ مِّن فَوْقِهِۦ مَوْجٌۭ مِّن فَوْقِهِۦ سَحَابٌۭ ۚ ظُلُمَـٰتٌۢ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ إِذَآ أَخْرَجَ يَدَهُۥ لَمْ يَكَدْ يَرَىٰهَا ۗ وَمَن لَّمْ يَجْعَلِ ٱللَّهُ لَهُۥ نُورًۭا فَمَا لَهُۥ مِن نُّورٍ
- AyatMeaning
- (या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi