Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 33
- PageNo
- 270
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 16_33.png
- AyatText
- هَلْ يَنظُرُونَ إِلَّآ أَن تَأْتِيَهُمُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ أَوْ يَأْتِىَ أَمْرُ رَبِّكَ ۚ كَذَٰلِكَ فَعَلَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ وَمَا ظَلَمَهُمُ ٱللَّهُ وَلَـٰكِن كَانُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ
- AyatMeaning
- (ऐ रसूल) क्या ये (अहले मक्का) इसी बात के मुन्तिज़र है कि उनके पास फरिश्ते (क़ब्ज़े रुह को) आ ही जाएँ या (उनके हलाक करने को) तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब ही आ पहुँचे जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं वह ऐसी बातें कर चुके हैं और ख़ुदा ने उन पर (ज़रा भी) जुल्म नहीं किया बल्कि वह लोग ख़ुद कुफ़्र की वजह से अपने ऊपर आप जुल्म करते रहे
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi