Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 116
- PageNo
- 127
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 5_116.png
- AyatText
- وَإِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَـٰعِيسَى ٱبْنَ مَرْيَمَ ءَأَنتَ قُلْتَ لِلنَّاسِ ٱتَّخِذُونِى وَأُمِّىَ إِلَـٰهَيْنِ مِن دُونِ ٱللَّهِ ۖ قَالَ سُبْحَـٰنَكَ مَا يَكُونُ لِىٓ أَنْ أَقُولَ مَا لَيْسَ لِى بِحَقٍّ ۚ إِن كُنتُ قُلْتُهُۥ فَقَدْ عَلِمْتَهُۥ ۚ تَعْلَمُ مَا فِى نَفْسِى وَلَآ أَعْلَمُ مَا فِى نَفْسِكَ ۚ إِنَّكَ أَنتَ عَلَّـٰمُ ٱلْغُيُوبِ
- AyatMeaning
- और (वह वक्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से ख़ुदा फरमाएग कि (क्यों) ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि ख़ुदा को छोड़कर मुझ को और मेरी माँ को ख़ुदा बना लो ईसा अर्ज़ करेगें सुबहान अल्लाह मेरी तो ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूं जिसका मुझे कोई हक़ न हो (अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे दिल की (सब बात) जानता है हाँ अलबत्ता मै तेरे जी की बात नहीं जानता (क्योंकि) इसमें तो शक़ ही नहीं कि तू ही ग़ैब की बातें ख़ूब जानता है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi