Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 82
- PageNo
- 121
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 5_82.png
- AyatText
- ۞ لَتَجِدَنَّ أَشَدَّ ٱلنَّاسِ عَدَٰوَةًۭ لِّلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱلْيَهُودَ وَٱلَّذِينَ أَشْرَكُوا۟ ۖ وَلَتَجِدَنَّ أَقْرَبَهُم مَّوَدَّةًۭ لِّلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱلَّذِينَ قَالُوٓا۟ إِنَّا نَصَـٰرَىٰ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّ مِنْهُمْ قِسِّيسِينَ وَرُهْبَانًۭا وَأَنَّهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُونَ
- AyatMeaning
- (ऐ रसूल) ईमान लाने वालों का दुशमन सबसे बढ़के यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमानदारों का दोस्ती में सबसे बढ़के क़रीब उन लोगों को पाओगे जो अपने को नसारा कहते हैं क्योंकि इन (नसारा) में से यक़ीनी बहुत से आमिल और आबिद हैं और इस सबब से (भी) कि ये लोग हरगिज़ शेख़ी नहीं करते
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi