Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
196
PageNo
30
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
2_196.png
AyatText
وَأَتِمُّوا۟ ٱلْحَجَّ وَٱلْعُمْرَةَ لِلَّهِ ۚ فَإِنْ أُحْصِرْتُمْ فَمَا ٱسْتَيْسَرَ مِنَ ٱلْهَدْىِ ۖ وَلَا تَحْلِقُوا۟ رُءُوسَكُمْ حَتَّىٰ يَبْلُغَ ٱلْهَدْىُ مَحِلَّهُۥ ۚ فَمَن كَانَ مِنكُم مَّرِيضًا أَوْ بِهِۦٓ أَذًۭى مِّن رَّأْسِهِۦ فَفِدْيَةٌۭ مِّن صِيَامٍ أَوْ صَدَقَةٍ أَوْ نُسُكٍۢ ۚ فَإِذَآ أَمِنتُمْ فَمَن تَمَتَّعَ بِٱلْعُمْرَةِ إِلَى ٱلْحَجِّ فَمَا ٱسْتَيْسَرَ مِنَ ٱلْهَدْىِ ۚ فَمَن لَّمْ يَجِدْ فَصِيَامُ ثَلَـٰثَةِ أَيَّامٍۢ فِى ٱلْحَجِّ وَسَبْعَةٍ إِذَا رَجَعْتُمْ ۗ تِلْكَ عَشَرَةٌۭ كَامِلَةٌۭ ۗ ذَٰلِكَ لِمَن لَّمْ يَكُنْ أَهْلُهُۥ حَاضِرِى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
AyatMeaning
और सिर्फ ख़ुदा ही के वास्ते हज और उमरा को पूरा करो अगर तुम बीमारी वगैरह की वजह से मजबूर हो जाओ तो फिर जैसी क़ुरबानी मयस्सर आये (कर दो) और जब तक कुरबानी अपनी जगह पर न पहुँच जाये अपने सर न मुँडवाओ फिर जब तुम में से कोई बीमार हो या उसके सर में कोई तकलीफ हो तो (सर मुँडवाने का बदला) रोजे या खैरात या कुरबानी है पस जब मुतमइन रहों तो जो शख्स हज तमत्तो का उमरा करे तो उसको जो कुरबानी मयस्सर आये करनी होगी और जिस से कुरबानी ना मुमकिन हो तो तीन रोजे ज़माना ए हज में (रखने होंगे) और सात रोजे ज़ब तुम वापस आओ ये पूरा दहाई है ये हुक्म उस शख्स के वास्ते है जिस के लड़के बाले मस्ज़िदुल हराम (मक्का) के बाशिन्दे न हो और ख़ुदा से डरो और समझ लो कि ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब वाला है
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

Edit | Back to List