{1} بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया)
|| Details ||
|
{2} وَوَضَعْنَا عَنكَ وِزْرَكَ
और तुम पर से वह बोझ उतार दिया
|| Details ||
|
{3} ٱلَّذِىٓ أَنقَضَ ظَهْرَكَ
जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी
|| Details ||
|
{4} وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ
और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया
|| Details ||
|
{5} فَإِنَّ مَعَ ٱلْعُسْرِ يُسْرًا
तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है
|| Details ||
|
{6} إِنَّ مَعَ ٱلْعُسْرِ يُسْرًۭا
यक़ीनन दुश्वारी के साथ आसानी है
|| Details ||
|
{7} فَإِذَا فَرَغْتَ فَٱنصَبْ
तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो
|| Details ||
|
{8} وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَٱرْغَب
और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो
|| Details ||
|