Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 2
- PageNo
- 249
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 13_2.png
- AyatText
- ٱللَّهُ ٱلَّذِى رَفَعَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍۢ تَرَوْنَهَا ۖ ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ ۖ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ ۖ كُلٌّۭ يَجْرِى لِأَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ۚ يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ يُفَصِّلُ ٱلْـَٔايَـٰتِ لَعَلَّكُم بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوقِنُونَ
- AyatMeaning
- शुएब ने कहा ऐ मेरी क़ौम अगर मै अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हूँ और उसने मुझे (हलाल) रोज़ी खाने को दी है (तो मै भी तुम्हारी तरह हराम खाने लगूँ) और मै तो ये नहीं चाहता कि जिस काम से तुम को रोकूँ तुम्हारे बर ख़िलाफ (बदले) आप उसको करने लगूं मैं तो जहाँ तक मुझे बन पड़े इसलाह (भलाई) के सिवा (कुछ और) चाहता ही नहीं और मेरी ताईद तो ख़ुदा के सिवा और किसी से हो ही नहीं सकती इस पर मैने भरोसा कर लिया है और उसी की तरफ रुज़ू करता हूँ
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi