Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 105
- PageNo
- 233
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 11_105.png
- AyatText
- يَوْمَ يَأْتِ لَا تَكَلَّمُ نَفْسٌ إِلَّا بِإِذْنِهِۦ ۚ فَمِنْهُمْ شَقِىٌّۭ وَسَعِيدٌۭ
- AyatMeaning
- और (ये) वह लोग हैं जो अपने परवरदिगार की खुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (जो मुसीबत उन पर पड़ी है) झेल गए और पाबन्दी से नमाज़ अदा की और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी थी उसमें से छिपाकर और खुल कर ख़ुदा की राह में खर्च किया और ये लोग बुराई को भी भलाई स दफा करते हैं -यही लोग हैं जिनके लिए आख़िरत की खूबी मख़सूस है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi