Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
49
PageNo
214
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
10_49.png
AyatText
قُل لَّآ أَمْلِكُ لِنَفْسِى ضَرًّۭا وَلَا نَفْعًا إِلَّا مَا شَآءَ ٱللَّهُ ۗ لِكُلِّ أُمَّةٍ أَجَلٌ ۚ إِذَا جَآءَ أَجَلُهُمْ فَلَا يَسْتَـْٔخِرُونَ سَاعَةًۭ ۖ وَلَا يَسْتَقْدِمُونَ
AyatMeaning
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै खुद अपने वास्ते नुकसान पर क़ादिर हूँ न नफा पर मगर जो ख़ुदा चाहे हर उम्मत (के रहने) का (उसके इल्म में) एक वक्त मुक़र्रर है-जब उन का वक्त आ जाता है तो न एक घड़ी पीछे हट सकती हैं और न आगे बढ़ सकते हैं
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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