Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
17
PageNo
189
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
9_17.png
AyatText
مَا كَانَ لِلْمُشْرِكِينَ أَن يَعْمُرُوا۟ مَسَـٰجِدَ ٱللَّهِ شَـٰهِدِينَ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِم بِٱلْكُفْرِ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ حَبِطَتْ أَعْمَـٰلُهُمْ وَفِى ٱلنَّارِ هُمْ خَـٰلِدُونَ
AyatMeaning
मुशरेकीन का ये काम नहीं कि जब वह अपने कुफ़्र का ख़ुद इक़रार करते है तो ख़ुदा की मस्जिदों को (जाकर) आबाद करे यही वह लोग हैं जिनका किया कराया सब अकारत हुआ और ये लोग हमेशा जहन्नुम में रहेंगे
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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