Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 148
- PageNo
- 148
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 6_148.png
- AyatText
- سَيَقُولُ ٱلَّذِينَ أَشْرَكُوا۟ لَوْ شَآءَ ٱللَّهُ مَآ أَشْرَكْنَا وَلَآ ءَابَآؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِن شَىْءٍۢ ۚ كَذَٰلِكَ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ حَتَّىٰ ذَاقُوا۟ بَأْسَنَا ۗ قُلْ هَلْ عِندَكُم مِّنْ عِلْمٍۢ فَتُخْرِجُوهُ لَنَآ ۖ إِن تَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَإِنْ أَنتُمْ إِلَّا تَخْرُصُونَ
- AyatMeaning
- अनक़रीब मुशरेकीन कहेंगें कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम लोग शिर्क करते और न हमारे बाप दादा और न हम कोई चीज़ अपने ऊपर हराम करते उसी तरह (बातें बना बना के) जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं (पैग़म्बरों को) झुठलाते रहे यहाँ तक कि उन लोगों ने हमारे अज़ाब (के मज़े)े को चख़ा (ऐ रसूल) तुम कहो कि तुम्हारे पास कोई दलील है (अगर है) तो हमारे (दिखाने के) वास्ते उसको निकालो (दलील तो क्या) पेश करोगे तुम लोग तो सिर्फ अपने ख्याल ख़ाम की पैरवी करते हो और सिर्फ अटकल पच्चू बातें करते हो
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi