Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 221
- PageNo
- 35
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 2_221.png
- AyatText
- وَلَا تَنكِحُوا۟ ٱلْمُشْرِكَـٰتِ حَتَّىٰ يُؤْمِنَّ ۚ وَلَأَمَةٌۭ مُّؤْمِنَةٌ خَيْرٌۭ مِّن مُّشْرِكَةٍۢ وَلَوْ أَعْجَبَتْكُمْ ۗ وَلَا تُنكِحُوا۟ ٱلْمُشْرِكِينَ حَتَّىٰ يُؤْمِنُوا۟ ۚ وَلَعَبْدٌۭ مُّؤْمِنٌ خَيْرٌۭ مِّن مُّشْرِكٍۢ وَلَوْ أَعْجَبَكُمْ ۗ أُو۟لَـٰٓئِكَ يَدْعُونَ إِلَى ٱلنَّارِ ۖ وَٱللَّهُ يَدْعُوٓا۟ إِلَى ٱلْجَنَّةِ وَٱلْمَغْفِرَةِ بِإِذْنِهِۦ ۖ وَيُبَيِّنُ ءَايَـٰتِهِۦ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
- AyatMeaning
- और (मुसलमानों) तुम मुशरिक औरतों से जब तक ईमान न लाएँ निकाह न करो क्योंकि मुशरिका औरत तुम्हें अपने हुस्नो जमाल में कैसी ही अच्छी क्यों न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हे कैसा ही अच्छा क्यो न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हें क्या ही अच्छा क्यों न मालूम हो मगर फिर भी बन्दा मोमिन उनसे ज़रुर अच्छा है ये (मुशरिक मर्द या औरत) लोगों को दोज़ख़ की तरफ बुलाते हैं और ख़ुदा अपनी इनायत से बेहिश्त और बख़्शिस की तरफ बुलाता है और अपने एहकाम लोगों से साफ साफ बयान करता है ताकि ये लोग चेते
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi