{1} بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ أَلْهَىٰكُمُ ٱلتَّكَاثُرُ
कुल व माल की बहुतायत ने तुम लोगों को ग़ाफ़िल रखा
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{2} حَتَّىٰ زُرْتُمُ ٱلْمَقَابِرَ
यहाँ तक कि तुम लोगों ने कब्रें देखी (मर गए)
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{3} كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
देखो तुमको अनक़रीब ही मालुम हो जाएगा
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{4} ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
फिर देखो तुम्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा
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{5} كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ ٱلْيَقِينِ
देखो अगर तुमको यक़ीनी तौर पर मालूम होता (तो हरगिज़ ग़ाफिल न होते)
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{6} لَتَرَوُنَّ ٱلْجَحِيمَ
तुम लोग ज़रूर दोज़ख़ को देखोगे
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{7} ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ ٱلْيَقِينِ
फिर तुम लोग यक़ीनी देखना देखोगे
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{8} ثُمَّ لَتُسْـَٔلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ ٱلنَّعِيمِ
फिर तुमसे नेअमतों के बारें ज़रूर बाज़ पुर्स की जाएगी
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