Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 26
- PageNo
- 505
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 46_26.png
- AyatText
- وَلَقَدْ مَكَّنَّـٰهُمْ فِيمَآ إِن مَّكَّنَّـٰكُمْ فِيهِ وَجَعَلْنَا لَهُمْ سَمْعًۭا وَأَبْصَـٰرًۭا وَأَفْـِٔدَةًۭ فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُمْ سَمْعُهُمْ وَلَآ أَبْصَـٰرُهُمْ وَلَآ أَفْـِٔدَتُهُم مِّن شَىْءٍ إِذْ كَانُوا۟ يَجْحَدُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
- AyatMeaning
- और हमने उनको ऐसे कामों में मक़दूर दिये थे जिनमें तुम्हें (कुछ भी) मक़दूर नहीं दिया और उन्हें कान और ऑंख और दिल (सब कुछ दिए थे) तो चूँकि वह लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करने लगे तो न उनके कान ही कुछ काम आए और न उनकी ऑंखें और न उनके दिल और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे उसने उनको हर तरफ से घेर लिया
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi