Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
14
PageNo
484
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
42_14.png
AyatText
وَمَا تَفَرَّقُوٓا۟ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةٌۭ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى لَّقُضِىَ بَيْنَهُمْ ۚ وَإِنَّ ٱلَّذِينَ أُورِثُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ مِنۢ بَعْدِهِمْ لَفِى شَكٍّۢ مِّنْهُ مُرِيبٍۢ
AyatMeaning
और ये लोग मुतफ़र्रिक़ हुए भी तो इल्म (हक़) आ चुकने के बाद और (वह भी) महज़ आपस की ज़िद से और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से एक वक्ते मुक़र्रर तक के लिए (क़यामत का) वायदा न हो चुका होता तो उनमें कबका फैसला हो चुका होता और जो लोग उनके बाद (ख़ुदा की) किताब के वारिस हुए वह उसकी तरफ से बहुत सख्त शुबहे में (पड़े हुए) हैं
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

Edit | Back to List