Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 7
- PageNo
- 459
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 39_7.png
- AyatText
- إِن تَكْفُرُوا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَنِىٌّ عَنكُمْ ۖ وَلَا يَرْضَىٰ لِعِبَادِهِ ٱلْكُفْرَ ۖ وَإِن تَشْكُرُوا۟ يَرْضَهُ لَكُمْ ۗ وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌۭ وِزْرَ أُخْرَىٰ ۗ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُم مَّرْجِعُكُمْ فَيُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ ۚ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
- AyatMeaning
- अगर तुमने उसकी नाशुक्री की तो (याद रखो कि) खुदा तुमसे बिल्कुल बेपरवाह है और अपने बन्दों से कुफ्र और नाशुक्री को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते पसन्द करता है और (क़यामत में) कोई किसी (के गुनाह) का बोझ (अपनी गर्दन पर) नहीं उठाएगा फिर तुमको अपने परवरदिगार की तरफ लौटना है तो (दुनिया में) जो कुछ (भला बुरा) करते थे वह तुम्हें बता देगा वह यक़ीनन दिलों के राज़ (तक) से खूब वाक़िफ है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi