Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 18
- PageNo
- 334
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 22_18.png
- AyatText
- أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يَسْجُدُ لَهُۥ مَن فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ وَٱلشَّمْسُ وَٱلْقَمَرُ وَٱلنُّجُومُ وَٱلْجِبَالُ وَٱلشَّجَرُ وَٱلدَّوَآبُّ وَكَثِيرٌۭ مِّنَ ٱلنَّاسِ ۖ وَكَثِيرٌ حَقَّ عَلَيْهِ ٱلْعَذَابُ ۗ وَمَن يُهِنِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِن مُّكْرِمٍ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يَفْعَلُ مَا يَشَآءُ ۩
- AyatMeaning
- क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख्त और चारपाए (ग़रज़ कुल मख़लूक़ात) और आदमियों में से बहुत से लोग सब खुदा ही को सजदा करते हैं और बहुतेरे ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का (का आना) लाज़िम हो चुका है और जिसको खुदा ज़लील करे फिर उसका कोई इज्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि खुदा जो चाहता है करता है (18) सजदा
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi