Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 32
- PageNo
- 259
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 14_32.png
- AyatText
- ٱللَّهُ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَخْرَجَ بِهِۦ مِنَ ٱلثَّمَرَٰتِ رِزْقًۭا لَّكُمْ ۖ وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلْفُلْكَ لِتَجْرِىَ فِى ٱلْبَحْرِ بِأَمْرِهِۦ ۖ وَسَخَّرَ لَكُمُ ٱلْأَنْهَـٰرَ
- AyatMeaning
- और मैं तो अपने बाप दादा इबराहीम व इसहाक़ व याक़ूब के मज़हब पर चलने वाला हूँ मुनासिब नहीं कि हम ख़ुदा के साथ किसी चीज़ को (उसका) शरीक बनाएँ ये भी ख़ुदा की एक बड़ी मेहरबानी है हम पर भी और तमाम लोगों पर मगर बहुतेरे लोग उसका शुक्रिया (भी) अदा नहीं करते
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi