Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 3
- PageNo
- 249
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 13_3.png
- AyatText
- وَهُوَ ٱلَّذِى مَدَّ ٱلْأَرْضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنْهَـٰرًۭا ۖ وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ جَعَلَ فِيهَا زَوْجَيْنِ ٱثْنَيْنِ ۖ يُغْشِى ٱلَّيْلَ ٱلنَّهَارَ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍۢ لِّقَوْمٍۢ يَتَفَكَّرُونَ
- AyatMeaning
- और ऐ मेरी क़ौमे मेरी ज़िद कही तुम से ऐसा जुर्म न करा दे जैसी मुसीबत क़ौम नूह या हूद या सालेह पर नाज़िल हुई थी वैसी ही मुसीबत तुम पर भी आ पड़े और लूत की क़ौम (का ज़माना) तो (कुछ ऐसा) तुमसे दूर नहीं (उन्हीं के इबरत हासिल करो
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi