Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 70
- PageNo
- 136
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 6_70.png
- AyatText
- وَذَرِ ٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُوا۟ دِينَهُمْ لَعِبًۭا وَلَهْوًۭا وَغَرَّتْهُمُ ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا ۚ وَذَكِّرْ بِهِۦٓ أَن تُبْسَلَ نَفْسٌۢ بِمَا كَسَبَتْ لَيْسَ لَهَا مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلِىٌّۭ وَلَا شَفِيعٌۭ وَإِن تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍۢ لَّا يُؤْخَذْ مِنْهَآ ۗ أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ أُبْسِلُوا۟ بِمَا كَسَبُوا۟ ۖ لَهُمْ شَرَابٌۭ مِّنْ حَمِيمٍۢ وَعَذَابٌ أَلِيمٌۢ بِمَا كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ
- AyatMeaning
- (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या हम लोग ख़ुदा को छोड़कर उन (माबूदों) से मुनाज़ात (दुआ) करे जो न तो हमें नफ़ा पहुंचा सकते हैं न हमारा कुछ बिगाड़ ही सकते हैं- और जब ख़ुदा हमारी हिदायत कर चुका) उसके बाद उल्टे पावँ कुफ्र की तरफ उस शख़्श की तरह फिर जाएं जिसे शैतानों ने जंगल में भटका दिया हो और वह हैरान (परेशान) हो (कि कहा जाए क्या करें) और उसके कुछ रफीक़ हो कि उसे राहे रास्त (सीधे रास्ते) की तरफ पुकारते रह जाएं कि (उधर) हमारे पास आओ और वह एक न सुने (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हिदायत तो बस ख़ुदा की हिदायत है और हमें तो हुक्म ही दिया गया है कि हम सारे जहॉन के परवरदिगार ख़ुदा के फरमाबरदार हैं
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi