Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 113
- PageNo
- 96
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 4_113.png
- AyatText
- وَلَوْلَا فَضْلُ ٱللَّهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهُۥ لَهَمَّت طَّآئِفَةٌۭ مِّنْهُمْ أَن يُضِلُّوكَ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّآ أَنفُسَهُمْ ۖ وَمَا يَضُرُّونَكَ مِن شَىْءٍۢ ۚ وَأَنزَلَ ٱللَّهُ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُن تَعْلَمُ ۚ وَكَانَ فَضْلُ ٱللَّهِ عَلَيْكَ عَظِيمًۭا
- AyatMeaning
- और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो उन (बदमाशों) में से एक गिरोह तुमको गुमराह करने का ज़रूर क़सद करता हालॉकि वह लोग बस अपने आप को गुमराह कर रहे हैं और यह लोग तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचा सकते और ख़ुदा ही ने तो (मेहरबानी की कि) तुमपर अपनी किताब और हिकमत नाज़िल की और जो बातें तुम नहीं जानते थे तुम्हें सिखा दी और तुम पर तो ख़ुदा का बड़ा फ़ज़ल है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi