Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 256
- PageNo
- 42
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 2_256.png
- AyatText
- لَآ إِكْرَاهَ فِى ٱلدِّينِ ۖ قَد تَّبَيَّنَ ٱلرُّشْدُ مِنَ ٱلْغَىِّ ۚ فَمَن يَكْفُرْ بِٱلطَّـٰغُوتِ وَيُؤْمِنۢ بِٱللَّهِ فَقَدِ ٱسْتَمْسَكَ بِٱلْعُرْوَةِ ٱلْوُثْقَىٰ لَا ٱنفِصَامَ لَهَا ۗ وَٱللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ
- AyatMeaning
- दीन में किसी तरह की जबरदस्ती नहीं क्योंकि हिदायत गुमराही से (अलग) ज़ाहिर हो चुकी तो जिस शख्स ने झूठे खुदाओं बुतों से इंकार किया और खुदा ही पर ईमान लाया तो उसने वो मज़बूत रस्सी पकड़ी है जो टूट ही नहीं सकती और ख़ुदा सब कुछ सुनता और जानता है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi