Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
21
PageNo
485
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
42_21.png
AyatText
أَمْ لَهُمْ شُرَكَـٰٓؤُا۟ شَرَعُوا۟ لَهُم مِّنَ ٱلدِّينِ مَا لَمْ يَأْذَنۢ بِهِ ٱللَّهُ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةُ ٱلْفَصْلِ لَقُضِىَ بَيْنَهُمْ ۗ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ
AyatMeaning
क्या उन लोगों के (बनाए हुए) ऐसे शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए ऐसा दीन मुक़र्रर किया है जिसकी ख़ुदा ने इजाज़त नहीं दी और अगर फ़ैसले (के दिन) का वायदा न होता तो उनमें यक़ीनी अब तक फैसला हो चुका होता और ज़ालिमों के वास्ते ज़रूर दर्दनाक अज़ाब है
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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