Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
43
PageNo
433
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
34_43.png
AyatText
وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتُنَا بَيِّنَـٰتٍۢ قَالُوا۟ مَا هَـٰذَآ إِلَّا رَجُلٌۭ يُرِيدُ أَن يَصُدَّكُمْ عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ ءَابَآؤُكُمْ وَقَالُوا۟ مَا هَـٰذَآ إِلَّآ إِفْكٌۭ مُّفْتَرًۭى ۚ وَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لِلْحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمْ إِنْ هَـٰذَآ إِلَّا سِحْرٌۭ مُّبِينٌۭ
AyatMeaning
और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफ़िर हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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