Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 46
- PageNo
- 402
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 29_46.png
- AyatText
- ۞ وَلَا تُجَـٰدِلُوٓا۟ أَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ إِلَّا بِٱلَّتِى هِىَ أَحْسَنُ إِلَّا ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْهُمْ ۖ وَقُولُوٓا۟ ءَامَنَّا بِٱلَّذِىٓ أُنزِلَ إِلَيْنَا وَأُنزِلَ إِلَيْكُمْ وَإِلَـٰهُنَا وَإِلَـٰهُكُمْ وَٰحِدٌۭ وَنَحْنُ لَهُۥ مُسْلِمُونَ
- AyatMeaning
- और (ऐ ईमानदारों) अहले किताब से मनाज़िरा न किया करो मगर उमदा और शाएस्ता अलफाज़ व उनवान से लेकिन उनमें से जिन लोगों ने तुम पर ज़ुल्म किया (उनके साथ रिआयत न करो) और साफ साफ कह दो कि जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो किताब तुम पर नाज़िल हुई है हम तो सब पर ईमान ला चुके और हमारा माबूद और तुम्हारा माबूद एक ही है और हम उसी के फरमाबरदार है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi