Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
122
PageNo
143
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
6_122.png
AyatText
أَوَمَن كَانَ مَيْتًۭا فَأَحْيَيْنَـٰهُ وَجَعَلْنَا لَهُۥ نُورًۭا يَمْشِى بِهِۦ فِى ٱلنَّاسِ كَمَن مَّثَلُهُۥ فِى ٱلظُّلُمَـٰتِ لَيْسَ بِخَارِجٍۢ مِّنْهَا ۚ كَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِلْكَـٰفِرِينَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
AyatMeaning
क्या जो शख़्श (पहले) मुर्दा था फिर हमने उसको ज़िन्दा किया और उसके लिए एक नूर बनाया जिसके ज़रिए वह लोगों में (बेतकल्लुफ़) चलता फिरता है उस शख़्श का सामना हो सकता है जिसकी ये हालत है कि (हर तरफ से) अंधेरे में (फँसा हुआ है) कि वहाँ से किसी तरह निकल नहीं सकता (जिस तरह मोमिनों के वास्ते ईमान आरास्ता किया गया) उसी तरह काफिरों के वास्ते उनके आमाल (बद) आरास्ता कर दिए गए हैं
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

Edit | Back to List