Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
64
PageNo
88
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
4_64.png
AyatText
وَمَآ أَرْسَلْنَا مِن رَّسُولٍ إِلَّا لِيُطَاعَ بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ وَلَوْ أَنَّهُمْ إِذ ظَّلَمُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ جَآءُوكَ فَٱسْتَغْفَرُوا۟ ٱللَّهَ وَٱسْتَغْفَرَ لَهُمُ ٱلرَّسُولُ لَوَجَدُوا۟ ٱللَّهَ تَوَّابًۭا رَّحِيمًۭا
AyatMeaning
और (रसूल) जब उन लोगों ने (नाफ़रमानी करके) अपनी जानों पर जुल्म किया था अगर तुम्हारे पास चले आते और ख़ुदा से माफ़ी मॉगते और रसूल (तुम) भी उनकी मग़फ़िरत चाहते तो बेशक वह लोग ख़ुदा को बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पाते
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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