Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 32
- PageNo
- 491
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 43_32.png
- AyatText
- أَهُمْ يَقْسِمُونَ رَحْمَتَ رَبِّكَ ۚ نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُم مَّعِيشَتَهُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۚ وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍۢ دَرَجَـٰتٍۢ لِّيَتَّخِذَ بَعْضُهُم بَعْضًۭا سُخْرِيًّۭا ۗ وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌۭ مِّمَّا يَجْمَعُونَ
- AyatMeaning
- ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi