Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
13
PageNo
484
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
42_13.png
AyatText
۞ شَرَعَ لَكُم مِّنَ ٱلدِّينِ مَا وَصَّىٰ بِهِۦ نُوحًۭا وَٱلَّذِىٓ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ وَمَا وَصَّيْنَا بِهِۦٓ إِبْرَٰهِيمَ وَمُوسَىٰ وَعِيسَىٰٓ ۖ أَنْ أَقِيمُوا۟ ٱلدِّينَ وَلَا تَتَفَرَّقُوا۟ فِيهِ ۚ كَبُرَ عَلَى ٱلْمُشْرِكِينَ مَا تَدْعُوهُمْ إِلَيْهِ ۚ ٱللَّهُ يَجْتَبِىٓ إِلَيْهِ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِىٓ إِلَيْهِ مَن يُنِيبُ
AyatMeaning
उसने तुम्हारे लिए दीन का वही रास्ता मुक़र्रर किया जिस (पर चलने का) नूह को हुक्म दिया था और (ऐ रसूल) उसी की हमने तुम्हारे पास वही भेजी है और उसी का इब्राहीम और मूसा और ईसा को भी हुक्म दिया था (वह) ये (है कि) दीन को क़ायम रखना और उसमें तफ़रक़ा न डालना जिस दीन की तरफ तुम मुशरेकीन को बुलाते हो वह उन पर बहुत शाक़ ग़ुज़रता है ख़ुदा जिसको चाहता है अपनी बारगाह का बरगुज़ीदा कर लेता है और जो उसकी तरफ रूजू करे (अपनी तरफ़ (पहुँचने) का रास्ता दिखा देता है
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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