Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 12
- PageNo
- 429
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 34_12.png
- AyatText
- وَلِسُلَيْمَـٰنَ ٱلرِّيحَ غُدُوُّهَا شَهْرٌۭ وَرَوَاحُهَا شَهْرٌۭ ۖ وَأَسَلْنَا لَهُۥ عَيْنَ ٱلْقِطْرِ ۖ وَمِنَ ٱلْجِنِّ مَن يَعْمَلُ بَيْنَ يَدَيْهِ بِإِذْنِ رَبِّهِۦ ۖ وَمَن يَزِغْ مِنْهُمْ عَنْ أَمْرِنَا نُذِقْهُ مِنْ عَذَابِ ٱلسَّعِيرِ
- AyatMeaning
- और हवा को सुलेमान का (ताबेइदार बना दिया था) कि उसकी सुबह की रफ्तार एक महीने (मुसाफ़त) की थी और इसी तरह उसकी शाम की रफ्तार एक महीने (के मुसाफत) की थी और हमने उनके लिए तांबे (को पिघलाकर) उसका चश्मा जारी कर दिया था और जिन्नात (को उनका ताबेदार कर दिया था कि उन) में कुछ लोग उनके परवरदिगार के हुक्म से उनके सामने काम काज करते थे और उनमें से जिसने हमारे हुक्म से इनहराफ़ किया है उसे हम (क़यामत में) जहन्नुम के अज़ाब का मज़ा चख़ाँएगे
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi