Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 29
- PageNo
- 414
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 31_29.png
- AyatText
- أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يُولِجُ ٱلَّيْلَ فِى ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِى ٱلَّيْلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ كُلٌّۭ يَجْرِىٓ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى وَأَنَّ ٱللَّهَ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌۭ
- AyatMeaning
- क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि ख़ुदा ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल कर देता है (तो दिन बढ़ जाता है) उसी ने आफताब व माहताब को (गोया) तुम्हारा ताबेए बना दिया है कि एक मुक़र्रर मीयाद तक (यूँ ही) चलता रहेगा और (क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि) जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफकार है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi