Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 31
- PageNo
- 297
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 18_31.png
- AyatText
- أُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ جَنَّـٰتُ عَدْنٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهِمُ ٱلْأَنْهَـٰرُ يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍۢ وَيَلْبَسُونَ ثِيَابًا خُضْرًۭا مِّن سُندُسٍۢ وَإِسْتَبْرَقٍۢ مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلْأَرَآئِكِ ۚ نِعْمَ ٱلثَّوَابُ وَحَسُنَتْ مُرْتَفَقًۭا
- AyatMeaning
- ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi