Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 93
- PageNo
- 291
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 17_93.png
- AyatText
- أَوْ يَكُونَ لَكَ بَيْتٌۭ مِّن زُخْرُفٍ أَوْ تَرْقَىٰ فِى ٱلسَّمَآءِ وَلَن نُّؤْمِنَ لِرُقِيِّكَ حَتَّىٰ تُنَزِّلَ عَلَيْنَا كِتَـٰبًۭا نَّقْرَؤُهُۥ ۗ قُلْ سُبْحَانَ رَبِّى هَلْ كُنتُ إِلَّا بَشَرًۭا رَّسُولًۭا
- AyatMeaning
- और जब तक तुम हम पर ख़ुदा के यहाँ से एक किताब न नाज़िल करोगे कि हम उसे खुद पढ़ भी लें उस वक्त तक हम तुम्हारे (आसमान पर चढ़ने के भी) क़ायल न होगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सुबहान अल्लाह मै एक आदमी (ख़ुदा के) रसूल के सिवा आख़िर और क्या हूँ
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi