Details

Tbl_QuraanAyaat


SuraArabic
AyatNo
65
PageNo
243
SegmentNo
4
AyatImagePath
AyatAudioPath
12_65.png
AyatText
وَلَمَّا فَتَحُوا۟ مَتَـٰعَهُمْ وَجَدُوا۟ بِضَـٰعَتَهُمْ رُدَّتْ إِلَيْهِمْ ۖ قَالُوا۟ يَـٰٓأَبَانَا مَا نَبْغِى ۖ هَـٰذِهِۦ بِضَـٰعَتُنَا رُدَّتْ إِلَيْنَا ۖ وَنَمِيرُ أَهْلَنَا وَنَحْفَظُ أَخَانَا وَنَزْدَادُ كَيْلَ بَعِيرٍۢ ۖ ذَٰلِكَ كَيْلٌۭ يَسِيرٌۭ
AyatMeaning
यहाँ तक कि जब हमारा हुक्म (अज़ाब) आ पहुँचा और तन्नूर से जोश मारने लगा तो हमने हुक्म दिया (ऐ नूह) हर किस्म के जानदारों में से (नर मादा का) जोड़ा (यानि) दो दो ले लो और जिस (की) हलाकत (तबाही) का हुक्म पहले ही हो चुका हो उसके सिवा अपने सब घर वाले और जो लोग ईमान ला चुके उन सबको कश्ती (नाँव) में बैठा लो और उनके साथ ईमान भी थोड़े ही लोग लाए थे
Vocabulary
AyatSummary
Conclusions
AyatPurpose
AyatSimilar
HadeethContext
LangCode
hi

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