Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 46
- PageNo
- 86
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 4_46.png
- AyatText
- مِّنَ ٱلَّذِينَ هَادُوا۟ يُحَرِّفُونَ ٱلْكَلِمَ عَن مَّوَاضِعِهِۦ وَيَقُولُونَ سَمِعْنَا وَعَصَيْنَا وَٱسْمَعْ غَيْرَ مُسْمَعٍۢ وَرَٰعِنَا لَيًّۢا بِأَلْسِنَتِهِمْ وَطَعْنًۭا فِى ٱلدِّينِ ۚ وَلَوْ أَنَّهُمْ قَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا وَٱسْمَعْ وَٱنظُرْنَا لَكَانَ خَيْرًۭا لَّهُمْ وَأَقْوَمَ وَلَـٰكِن لَّعَنَهُمُ ٱللَّهُ بِكُفْرِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُونَ إِلَّا قَلِيلًۭا
- AyatMeaning
- (ऐ रसूल) यहूद से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बातों में उनके महल व मौक़े से हेर फेर डाल देते हैं और अपनी ज़बानों को मरोड़कर और दीन पर तानाज़नी की राह से तुमसे समेअना व असैना (हमने सुना और नाफ़रमानी की) और वसमअ गैरा मुसमइन (तुम मेरी सुनो ख़ुदा तुमको न सुनवाए) राअना मेरा ख्याल करो मेरे चरवाहे कहा करते हैं और अगर वह इसके बदले समेअना व अताअना (हमने सुना और माना) और इसमाआ (मेरी सुनो) और (राअना) के एवज़ उनजुरना (हमपर निगाह रख) कहते तो उनके हक़ में कहीं बेहतर होता और बिल्कुल सीधी बात थी मगर उनपर तो उनके कुफ़्र की वजह से ख़ुदा की फ़िटकार है
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi