Details
Tbl_QuraanAyaat
- SuraArabic
- AyatNo
- 216
- PageNo
- 34
- SegmentNo
- 4
- AyatImagePath
- AyatAudioPath
- 2_216.png
- AyatText
- كُتِبَ عَلَيْكُمُ ٱلْقِتَالُ وَهُوَ كُرْهٌۭ لَّكُمْ ۖ وَعَسَىٰٓ أَن تَكْرَهُوا۟ شَيْـًۭٔا وَهُوَ خَيْرٌۭ لَّكُمْ ۖ وَعَسَىٰٓ أَن تُحِبُّوا۟ شَيْـًۭٔا وَهُوَ شَرٌّۭ لَّكُمْ ۗ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
- AyatMeaning
- (मुसलमानों) तुम पर जिहाद फर्ज क़िया गया अगरचे तुम पर शाक़ ज़रुर है और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ (जिहाद) को नापसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बेहतर हो और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ को पसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बुरी हो और ख़ुदा (तो) जानता ही है मगर तुम नही जानते हो
- Vocabulary
- AyatSummary
- Conclusions
- AyatPurpose
- AyatSimilar
- HadeethContext
- LangCode
- hi